pub-4464005860401745 GUGLE WEB STORIES : सौर मंडल बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम वर्ष 2022 में भारत ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र खासकर अंतरिक्ष के क्षेत्र में काफी सफलता हासिल की है। पिछले एक साल में भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र तेजी से बदल रहा है। पिछले दिनों इसरो ने भारत के पहले निजी रॉकेट ‘विक्रम-एस’ का श्रीहरिकोटा में सफल प्रक्षेपण किया था। एक और अभियान में इसरो ने हाल में ही पीएसएलवी-सी54 के जरिए ओशनसैट-3 और आठ लघु उपग्रह- भूटानसैट, पिक्सेल का ‘आनंद’, धुव अंतरिक्ष के दो थायबोल्ट और स्पेसफ्लाइट यूएसए के चार एस्ट्रोकास्ट-लॉन्च किए। अक्टूबर महीनें में इसरो ने ब्रिटिश कंपनी वनवेब के लिए 36 कृत्रिम उपग्रहों को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित करके एक बड़ी सफलता हासिल की थी।इसरो ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में काफी सफलता हासिल कर लिया है, लेकिन अब समय आ गया है जब इसरो व्यावसायिक सफलता के साथ अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की तरह अंतरिक्ष अन्वेषण पर भी ध्यान दे। इसरो को अंतरिक्ष अन्वेषण और शोध के लिए दीर्घकालिक रणनीति बनानी होगी, क्योंकि जैसे-जैसे अंतरिक्ष के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी अंतरिक्ष अन्वेषण बेहद महत्त्वपूर्ण होता जाएगा। इस काम इसके लिए सरकार को इसरो का सालाना बजट भी बढ़ाना पड़ेगा, जो फिलहाल नासा के मुकाबले काफी कम है। भारी विदेशी उपग्रहों को अधिक संख्या में प्रक्षेपित करने के लिए अब हमें पीएसएलवी के साथ-साथ जीएसएलवी रॉकेट का भी उपयोग करना होगा। पीएसएलवी अपनी सटीकता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है, लेकिन ज्यादा भारी उपग्रहों के लिए जीएसएलवी का प्रयोग अब बहुतायत में करना होगा। वैसे तो भारत के पहले सफल चंद्र मिशन और मंगल मिशन के बाद से ही इसरो व्यावसायिक तौर पर काफी सफल रहा है और इसरों के प्रक्षेपण की बेहद कम लागत की वजह से दुनिया भर के कई देश अब इसरो से अपने उपग्रहों की लांचिंग करा रहे हैं। अंतरिक्ष बाजार में भारत के लिए संभावनाएं बढ़ रही है, इसने अमेरिका सहित कई बड़े देशों का एकाधिकार तोड़ा है। पिछले दिनों दुश्मन मिसाइल को हवा में ही नष्ट करनें की क्षमता वाली इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल प्रक्षेपण इस बात का सबूत है कि भारत बैलेस्टिक मिसाइल रक्षा तंत्र के विकास में भी बड़ी कामयाबी हासिल कर चुका है। दुश्मन के बैलिस्टिक मिसाइल को हवा में ही ध्वस्त करने के लिए भारत ने सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल बना कर दुनिया के विकसित देशों की नींद उड़ा दी है। एक समय ऐसा भी था जब अमेरिका ने भारत के उपग्रहों को लांच करने से मन कर दिया था। आज स्थिति ये है कि अमेरिका सहित तमाम देश खुद भारत के साथ व्यावसायिक समझौता करने को इच्छुक हैं। अब पूरी दुनिया में सेटेलाइट के माध्यम से टेलीविजन प्रसारण, मौसम की भविष्यवाणी और का दूरसंचार का क्षेत्र बहुत तेज गति से बढ़ रहा है और चूंकि ये सभी सुविधाएं उपग्रहों के माध्यम से संचालित होती हैं। इसलिए संचार उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने की मांग में बढ़ोतरी हो रही है। हालांकि इस क्षेत्र में चीन, रूस, जापान आदि देश प्रतिस्पर्धा में हैं, लेकिन यह बाजार इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि यह मांग उनके सहारे पूरी नहीं की जा सकती। ऐसे में व्यावसायिक तौर पर यहां भारत के लिए बहुत संभावनाएं है। कम लागत और सफलता की गारंटी इसरो की सबसे बड़ी ताकत है जिसकी वजह से स्पेस इंडस्ट्री में आने वाला समय भारत के एकाधिकार का होगा। याद करिए कि नवम्बर 2007 में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस ने कहा था कि वह चंद्रयान-2 प्रोजेक्ट में भारत के साथ काम करते हुए इसरो को लैंडर देगा। जनवरी 2013 में लॉन्चिंग तय थी, लेकिन रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस लैंडर नहीं दे पाई या नहीं दिया। बाद में भारत ने खुद अपना लैंडर-रोवर बनाया। इस बात से यह साफ हो गया कि हमारे वैज्ञानिक किसी के मोहताज नहीं हैं। वे कोई भी मिशन पूरा कर सकते हैं। अब तो अमेरिका भी अपने सैटेलाइट लॉन्चिंग के लिए भारत की लगातार मदद ले रहा है, जो अंतरिक्ष बाजार में भारत की धमक का स्पष्ट संकेत है। वास्तव में नियमित रूप से विदेशी उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण ‘भारत की अंतरिक्ष क्षमता की वैश्विक अभिपुष्टि’ है। अमेरिका की फ्यूट्रान कॉरपोरेशन की एक शोध रिपोर्ट भी बताती है कि अंतरिक्ष जगत के बड़े देशों के बीच का अंतरराष्ट्रीय सहयोग रणनीतिक तौर पर भी सराहनीय है। वास्तव में इस क्षेत्र में किसी के साथ सहयोग या भागीदारी सभी पक्षों के लिए लाभदायक स्थिति है। इससे बड़े पैमाने पर लगने वाले संसाधनों का बंटवारा हो जाता है। खासतौर पर इसमें होने वाले भारी खर्च का। यह भारतीय अंतरिक्ष उद्योग की वाणिज्यिक प्रतिस्पर्धा की श्रेष्ठता का गवाह भी है। भारत जल्दी ही चंद्रमा पर अपना तीसरा मिशन चंद्रयान-3 लॉन्च कर सकता है। चंद्रयान-3; चंद्रयान-2 का उत्तराधिकारी है और यह चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा। इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 से संबंधित टीम का गठन किया जा चुका है और इस मिशन पर सुचारू रूप से कार्य प्रारंभ है। इसरो के अनुसार चंद्रयान-3 का मुख्य उद्देश्य ऐसी खोज करना है जिससे भारत के साथ ही पूरी मानवता को फायदा होगा। इन परीक्षणों और अनुभवों के आधार पर ही भावी चंद्र अभियानों की तैयारी में जरूरी बड़े बदलाव होंगे। ताकि भविष्य के चंद्र अभियानों की नई टेक्नोलॉजी को बनाने और उन्हें तय करने में मदद मिले। मिशन के मुख्य उद्देश्यों में चंद्रमा पर पानी की मात्रा का अनुमान लगाना, उसके जमीन, उसमें मौजूद खनिजों एवं रसायनों तथा उनके वितरण का अध्ययन करना, उसकी भूकंपीय गतिविधियों का अध्ययन और चंद्रमा के बाहरी वातावरण की ताप-भौतिकी गुणों का विश्लेषण है। कुल मिलाकर चंद्रयान-3 मिशन भारत के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है साथ ही यह मिशन भविष्य में अंतरिक्ष शोध की नई संभावनाओं को भी जन्म देगा। भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में नई सफलताएं हासिल कर विकास को अधिक गति दे सकता है। देश में गरीबी दूर करने और विकसित भारत के सपने को पूरा करने में इसरो काफी मददगार साबित हो सकता है। अब समय आ गया है जब इसरो व्यावसायिक सफलता के साथ-साथ नासा की तरह अंतरिक्ष अन्वेषण और शोध पर भी ज्यादा ध्यान दे, जिससे की भारत के साथ साथ दुनिया को भी नई दिशा मिल सके।

बुधवार, 4 जनवरी 2023

सौर मंडल बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम वर्ष 2022 में भारत ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र खासकर अंतरिक्ष के क्षेत्र में काफी सफलता हासिल की है। पिछले एक साल में भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र तेजी से बदल रहा है। पिछले दिनों इसरो ने भारत के पहले निजी रॉकेट ‘विक्रम-एस’ का श्रीहरिकोटा में सफल प्रक्षेपण किया था। एक और अभियान में इसरो ने हाल में ही पीएसएलवी-सी54 के जरिए ओशनसैट-3 और आठ लघु उपग्रह- भूटानसैट, पिक्सेल का ‘आनंद’, धुव अंतरिक्ष के दो थायबोल्ट और स्पेसफ्लाइट यूएसए के चार एस्ट्रोकास्ट-लॉन्च किए। अक्टूबर महीनें में इसरो ने ब्रिटिश कंपनी वनवेब के लिए 36 कृत्रिम उपग्रहों को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित करके एक बड़ी सफलता हासिल की थी।इसरो ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में काफी सफलता हासिल कर लिया है, लेकिन अब समय आ गया है जब इसरो व्यावसायिक सफलता के साथ अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की तरह अंतरिक्ष अन्वेषण पर भी ध्यान दे। इसरो को अंतरिक्ष अन्वेषण और शोध के लिए दीर्घकालिक रणनीति बनानी होगी, क्योंकि जैसे-जैसे अंतरिक्ष के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी अंतरिक्ष अन्वेषण बेहद महत्त्वपूर्ण होता जाएगा। इस काम इसके लिए सरकार को इसरो का सालाना बजट भी बढ़ाना पड़ेगा, जो फिलहाल नासा के मुकाबले काफी कम है। भारी विदेशी उपग्रहों को अधिक संख्या में प्रक्षेपित करने के लिए अब हमें पीएसएलवी के साथ-साथ जीएसएलवी रॉकेट का भी उपयोग करना होगा। पीएसएलवी अपनी सटीकता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है, लेकिन ज्यादा भारी उपग्रहों के लिए जीएसएलवी का प्रयोग अब बहुतायत में करना होगा। वैसे तो भारत के पहले सफल चंद्र मिशन और मंगल मिशन के बाद से ही इसरो व्यावसायिक तौर पर काफी सफल रहा है और इसरों के प्रक्षेपण की बेहद कम लागत की वजह से दुनिया भर के कई देश अब इसरो से अपने उपग्रहों की लांचिंग करा रहे हैं। अंतरिक्ष बाजार में भारत के लिए संभावनाएं बढ़ रही है, इसने अमेरिका सहित कई बड़े देशों का एकाधिकार तोड़ा है। पिछले दिनों दुश्मन मिसाइल को हवा में ही नष्ट करनें की क्षमता वाली इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल प्रक्षेपण इस बात का सबूत है कि भारत बैलेस्टिक मिसाइल रक्षा तंत्र के विकास में भी बड़ी कामयाबी हासिल कर चुका है। दुश्मन के बैलिस्टिक मिसाइल को हवा में ही ध्वस्त करने के लिए भारत ने सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल बना कर दुनिया के विकसित देशों की नींद उड़ा दी है। एक समय ऐसा भी था जब अमेरिका ने भारत के उपग्रहों को लांच करने से मन कर दिया था। आज स्थिति ये है कि अमेरिका सहित तमाम देश खुद भारत के साथ व्यावसायिक समझौता करने को इच्छुक हैं। अब पूरी दुनिया में सेटेलाइट के माध्यम से टेलीविजन प्रसारण, मौसम की भविष्यवाणी और का दूरसंचार का क्षेत्र बहुत तेज गति से बढ़ रहा है और चूंकि ये सभी सुविधाएं उपग्रहों के माध्यम से संचालित होती हैं। इसलिए संचार उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने की मांग में बढ़ोतरी हो रही है। हालांकि इस क्षेत्र में चीन, रूस, जापान आदि देश प्रतिस्पर्धा में हैं, लेकिन यह बाजार इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि यह मांग उनके सहारे पूरी नहीं की जा सकती। ऐसे में व्यावसायिक तौर पर यहां भारत के लिए बहुत संभावनाएं है। कम लागत और सफलता की गारंटी इसरो की सबसे बड़ी ताकत है जिसकी वजह से स्पेस इंडस्ट्री में आने वाला समय भारत के एकाधिकार का होगा। याद करिए कि नवम्बर 2007 में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस ने कहा था कि वह चंद्रयान-2 प्रोजेक्ट में भारत के साथ काम करते हुए इसरो को लैंडर देगा। जनवरी 2013 में लॉन्चिंग तय थी, लेकिन रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस लैंडर नहीं दे पाई या नहीं दिया। बाद में भारत ने खुद अपना लैंडर-रोवर बनाया। इस बात से यह साफ हो गया कि हमारे वैज्ञानिक किसी के मोहताज नहीं हैं। वे कोई भी मिशन पूरा कर सकते हैं। अब तो अमेरिका भी अपने सैटेलाइट लॉन्चिंग के लिए भारत की लगातार मदद ले रहा है, जो अंतरिक्ष बाजार में भारत की धमक का स्पष्ट संकेत है। वास्तव में नियमित रूप से विदेशी उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण ‘भारत की अंतरिक्ष क्षमता की वैश्विक अभिपुष्टि’ है। अमेरिका की फ्यूट्रान कॉरपोरेशन की एक शोध रिपोर्ट भी बताती है कि अंतरिक्ष जगत के बड़े देशों के बीच का अंतरराष्ट्रीय सहयोग रणनीतिक तौर पर भी सराहनीय है। वास्तव में इस क्षेत्र में किसी के साथ सहयोग या भागीदारी सभी पक्षों के लिए लाभदायक स्थिति है। इससे बड़े पैमाने पर लगने वाले संसाधनों का बंटवारा हो जाता है। खासतौर पर इसमें होने वाले भारी खर्च का। यह भारतीय अंतरिक्ष उद्योग की वाणिज्यिक प्रतिस्पर्धा की श्रेष्ठता का गवाह भी है। भारत जल्दी ही चंद्रमा पर अपना तीसरा मिशन चंद्रयान-3 लॉन्च कर सकता है। चंद्रयान-3; चंद्रयान-2 का उत्तराधिकारी है और यह चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा। इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 से संबंधित टीम का गठन किया जा चुका है और इस मिशन पर सुचारू रूप से कार्य प्रारंभ है। इसरो के अनुसार चंद्रयान-3 का मुख्य उद्देश्य ऐसी खोज करना है जिससे भारत के साथ ही पूरी मानवता को फायदा होगा। इन परीक्षणों और अनुभवों के आधार पर ही भावी चंद्र अभियानों की तैयारी में जरूरी बड़े बदलाव होंगे। ताकि भविष्य के चंद्र अभियानों की नई टेक्नोलॉजी को बनाने और उन्हें तय करने में मदद मिले। मिशन के मुख्य उद्देश्यों में चंद्रमा पर पानी की मात्रा का अनुमान लगाना, उसके जमीन, उसमें मौजूद खनिजों एवं रसायनों तथा उनके वितरण का अध्ययन करना, उसकी भूकंपीय गतिविधियों का अध्ययन और चंद्रमा के बाहरी वातावरण की ताप-भौतिकी गुणों का विश्लेषण है। कुल मिलाकर चंद्रयान-3 मिशन भारत के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है साथ ही यह मिशन भविष्य में अंतरिक्ष शोध की नई संभावनाओं को भी जन्म देगा। भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में नई सफलताएं हासिल कर विकास को अधिक गति दे सकता है। देश में गरीबी दूर करने और विकसित भारत के सपने को पूरा करने में इसरो काफी मददगार साबित हो सकता है। अब समय आ गया है जब इसरो व्यावसायिक सफलता के साथ-साथ नासा की तरह अंतरिक्ष अन्वेषण और शोध पर भी ज्यादा ध्यान दे, जिससे की भारत के साथ साथ दुनिया को भी नई दिशा मिल सके।

 

सौर मंडल

बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम

वर्ष 2022 में भारत ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र खासकर अंतरिक्ष के क्षेत्र में काफी सफलता हासिल की है। पिछले एक साल में भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र तेजी से बदल रहा है।  पिछले दिनों इसरो ने भारत के पहले निजी रॉकेट ‘विक्रम-एस’ का श्रीहरिकोटा में सफल प्रक्षेपण किया था। एक और अभियान में इसरो ने  हाल में ही पीएसएलवी-सी54 के जरिए ओशनसैट-3 और आठ लघु उपग्रह- भूटानसैट, पिक्सेल का ‘आनंद’, धुव अंतरिक्ष के दो थायबोल्ट और स्पेसफ्लाइट यूएसए के चार एस्ट्रोकास्ट-लॉन्च किए। अक्टूबर महीनें में इसरो ने  ब्रिटिश कंपनी वनवेब के लिए 36 कृत्रिम उपग्रहों को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित करके एक बड़ी सफलता हासिल की थी।इसरो ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में काफी सफलता हासिल कर लिया है, लेकिन अब समय आ गया है जब इसरो व्यावसायिक सफलता के साथ अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की तरह अंतरिक्ष अन्वेषण पर भी ध्यान दे। इसरो को अंतरिक्ष अन्वेषण और शोध के लिए दीर्घकालिक रणनीति बनानी होगी, क्योंकि जैसे-जैसे अंतरिक्ष के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी अंतरिक्ष अन्वेषण बेहद महत्त्वपूर्ण होता जाएगा। इस काम इसके लिए सरकार को इसरो का सालाना बजट भी बढ़ाना पड़ेगा, जो फिलहाल नासा के मुकाबले काफी कम है। भारी विदेशी उपग्रहों को अधिक संख्या में प्रक्षेपित करने के लिए अब हमें पीएसएलवी के साथ-साथ जीएसएलवी रॉकेट का भी उपयोग करना होगा।


पीएसएलवी अपनी सटीकता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है, लेकिन ज्यादा भारी उपग्रहों के लिए जीएसएलवी का प्रयोग अब बहुतायत में करना होगा। वैसे तो भारत के पहले सफल चंद्र मिशन और मंगल मिशन के बाद से ही इसरो व्यावसायिक तौर पर काफी सफल रहा है और इसरों के प्रक्षेपण की बेहद कम लागत की वजह से दुनिया भर के कई देश अब इसरो से अपने उपग्रहों की लांचिंग करा रहे हैं। अंतरिक्ष बाजार में भारत के लिए संभावनाएं बढ़ रही है, इसने अमेरिका सहित कई बड़े देशों का एकाधिकार तोड़ा है। पिछले दिनों दुश्मन मिसाइल को हवा में ही नष्ट करनें की क्षमता वाली इंटरसेप्टर मिसाइल का सफल प्रक्षेपण इस बात का सबूत है कि भारत  बैलेस्टिक मिसाइल रक्षा तंत्र के विकास में भी बड़ी कामयाबी हासिल कर चुका है।


दुश्मन के बैलिस्टिक मिसाइल को हवा में ही ध्वस्त करने के लिए भारत ने सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल बना कर दुनिया के विकसित देशों की नींद उड़ा दी है। एक समय ऐसा भी था जब अमेरिका ने भारत के उपग्रहों को लांच करने से मन कर दिया था। आज स्थिति ये है कि अमेरिका सहित तमाम देश खुद भारत के साथ व्यावसायिक समझौता करने को इच्छुक हैं। अब पूरी दुनिया में सेटेलाइट के माध्यम से टेलीविजन प्रसारण, मौसम की भविष्यवाणी और  का दूरसंचार का क्षेत्र बहुत तेज गति से बढ़ रहा है और चूंकि ये सभी सुविधाएं उपग्रहों के माध्यम से संचालित होती हैं। इसलिए संचार उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करने की मांग में बढ़ोतरी हो रही है। हालांकि इस क्षेत्र में चीन, रूस, जापान आदि देश प्रतिस्पर्धा में हैं, लेकिन यह बाजार इतनी तेजी से बढ़ रहा है कि यह मांग उनके सहारे पूरी नहीं की जा सकती।


ऐसे में व्यावसायिक तौर पर यहां भारत के लिए बहुत संभावनाएं है। कम लागत और सफलता की गारंटी इसरो की सबसे बड़ी ताकत है जिसकी वजह से स्पेस इंडस्ट्री में आने वाला समय भारत के एकाधिकार का होगा। याद करिए कि नवम्बर 2007 में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस ने कहा था कि वह चंद्रयान-2 प्रोजेक्ट में भारत के साथ काम करते हुए इसरो को लैंडर देगा। जनवरी 2013 में लॉन्चिंग तय थी, लेकिन रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रॉसकॉसमॉस लैंडर नहीं दे पाई या नहीं दिया। बाद में भारत ने खुद अपना लैंडर-रोवर बनाया। इस बात से यह साफ हो गया कि हमारे वैज्ञानिक किसी के मोहताज नहीं हैं। वे कोई भी मिशन पूरा कर सकते हैं। अब तो अमेरिका भी अपने सैटेलाइट लॉन्चिंग के लिए भारत की लगातार मदद ले रहा है, जो अंतरिक्ष बाजार में भारत की धमक का स्पष्ट संकेत है। वास्तव में नियमित रूप से विदेशी उपग्रहों का सफल प्रक्षेपण ‘भारत की अंतरिक्ष क्षमता की वैश्विक अभिपुष्टि’ है।  अमेरिका की फ्यूट्रान कॉरपोरेशन की एक शोध रिपोर्ट भी बताती है कि अंतरिक्ष जगत के बड़े देशों के बीच का अंतरराष्ट्रीय सहयोग रणनीतिक तौर पर भी सराहनीय है।


वास्तव में इस क्षेत्र में किसी के साथ सहयोग या भागीदारी सभी पक्षों के लिए लाभदायक स्थिति है। इससे बड़े पैमाने पर लगने वाले संसाधनों का बंटवारा हो जाता है। खासतौर पर इसमें होने वाले भारी खर्च का। यह भारतीय अंतरिक्ष उद्योग की वाणिज्यिक प्रतिस्पर्धा की श्रेष्ठता का गवाह भी है। भारत जल्दी ही चंद्रमा पर अपना तीसरा मिशन चंद्रयान-3 लॉन्च कर सकता है। चंद्रयान-3; चंद्रयान-2 का उत्तराधिकारी है और यह चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा। 


इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 से संबंधित टीम का गठन किया जा चुका है और इस मिशन पर सुचारू रूप से कार्य प्रारंभ है। इसरो के अनुसार चंद्रयान-3  का मुख्य उद्देश्य ऐसी खोज करना है जिससे भारत के साथ ही पूरी मानवता को फायदा होगा। इन परीक्षणों और अनुभवों के आधार पर ही भावी चंद्र अभियानों की तैयारी में जरूरी बड़े बदलाव होंगे। ताकि भविष्य के चंद्र अभियानों की नई टेक्नोलॉजी को बनाने और उन्हें तय करने में मदद मिले। मिशन के मुख्य उद्देश्यों में चंद्रमा पर पानी की मात्रा का अनुमान लगाना, उसके जमीन, उसमें मौजूद खनिजों एवं रसायनों तथा उनके वितरण का अध्ययन करना, उसकी भूकंपीय गतिविधियों का अध्ययन और चंद्रमा के बाहरी वातावरण की ताप-भौतिकी गुणों का विश्लेषण है।



कुल मिलाकर चंद्रयान-3 मिशन भारत के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है साथ ही यह मिशन भविष्य में अंतरिक्ष शोध की नई संभावनाओं को भी जन्म देगा। भारत अंतरिक्ष क्षेत्र में नई सफलताएं हासिल कर विकास को अधिक गति दे सकता है। देश में गरीबी दूर करने और विकसित भारत के सपने को पूरा करने में इसरो काफी मददगार साबित हो सकता है।  अब समय आ गया है जब इसरो व्यावसायिक सफलता के साथ-साथ नासा की तरह अंतरिक्ष अन्वेषण और शोध पर भी ज्यादा ध्यान दे, जिससे की भारत के साथ साथ दुनिया को भी नई दिशा मिल सके।

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 बलुवाना न्यूज पंजाबसीएम मान ने किसानों के चैकअबोहर, 20 जनवरी (बलुवाना न्यूज पंजाब): 2020 में बुरी तरह अस्वस्थ व बरसात के कारण गिरे मकानों के मुआवजे के चैक आज भगवंत मान ने दिखाया। किसान कर्मजीत सिंह, प्रीतम सिंह किकरखेड़ा को उनकी खराब हुई खेद के मुआवजे के चाक किए गए जबकि बाज सिंह, शिंगारा सिंह व एक अन्य महिला को लगभग 95 हजार रुपये का चैक भुगतान किया गया। सीएम मान ने कहा कि पिछले छात्रवृत्ति वाले किसानों के मुआवजे की ओर ठीक से ध्यान नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि नीट क्लीयर हो तो कोई भी काम मुश्किल नहीं है। उन्होंने कहा कि आप सरकार ने 600 यूनिट बिजली माफ कर दी है, पंजाब के लोगों को काफी राहत मिली है। उन्होंने कहा कि आप सरकार लगातार लोगों की सुविधाओं की ओर ध्यान दे रही है।बलुवाना न्यूज पंजाब  फोटो, अज्ञानी के चाक आवेदन करते सीएम मान। वरिष्ठ अधिवक्ता हरप्रीत सिंह रेवेन्यू मंत्री से अब हर किसी से संबंधित संबंध मिलते हैंअबोहर, 20 जनवरी (बलुवाना न्यूज पंजाब): आज अबोहर पहुंचे रेवेन्यु मंत्री ब्रह्म शंकर जिम्पा, बल्लुआना के विधायक अमनदीप गोल्ड सिंही मुसाफिर, जलालाबाद के विधायक गोल्डी कम्बोज से वरिष्ठ एडवोकेट व आप नेता हर प्रीति सिंह, युवा नेता श्रेष्ठ हर प्रीति सिंह, पूर्व प्रधान अमनदीप धालीवाल, कुलदीप सिंह वकील राजपुरा, गौरी शंकर वकील ने जालसाजी और अबोहर के पूर्व से संबंधित विवरण। एडवोकेट हरप्रीत सिंह ने राजस्व मंत्री से अबोहर में रूके विकास कार्यों को फिर से शुरू करने की मांग की। इसके अलावा उन्होंने कहा कि अबोहर में बारिश के दौरान कई मकान गिरे थे।फोटो, रेवेन्यु मिनिस्टर से मिलते हैं एडवोकेट हरप्रीत सिंह व अन्य। क्राईम रिपोर्टर, अबोहर, जिला फाजिल्का (पंजाब)हर प्रकार की खबरें, विज्ञापन, जन्मदिन, वार्षिकियां, शोक बेदखली, बेदखली बहाल, कोर्ट नोटिस प्रकाशित किए जाने के लिए संपर्क करें भ्रष्टाचारियों को किसी कीमत पर बख्शा नहीं होगा चाहे वह किसी भी पार्टी में चले जाएं : सीएम भगवंत मानकुछ भ्रष्ट मंत्री जेल में और कुछ की जाने की तैयारीऔर बरसात में गिरे मकानों के अधिकार देने के लिए पहुंचे। इस मौके पर सीएम मान जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि पंजाब को लूटने वाले मंत्रियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं होगा चाहे वह बीजेपी ज्वाइन करें या कांग्रेस। सभी मंत्रियों का नंबर आएगा। सीएम मान ने कहा कि कुछ भ्रष्ट मंत्री जेल में हैं और कुछ की जांच चल रही है। सीएम मान ने कहा कि हमारी सरकार लोगों की सेवा के लिए है। चुनाव में किए गए वायदे पूरी तरह जा रहे हैं। पुराने प्रमाणों ने खजाना लूटा खाली कर दिया है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार का प्रयास है कि युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार दिया जाए इसके लिए यहां भड़काने वाले भ्रम हैं। रैली के दौरान पीटीआई शिक्षकों ने नारेबाजी की। जिस पर भगवंत मान ने कहा कि जल्द ही पीटीआई की स्थिति हल हो जाएगी।सीएम ने कहा कि स्कूलों में सुधार किया जा रहा है जल्द ही पीटीआई शिक्षकों को रखा जाएगा। इसके अलावा पंजाब में मोहल्ला औषधियों की संख्या के विचार। उन्होंने कहा कि आप सरकार उसी समय बनी हुई है और इस दौरान काफी हद तक सुधार किया गया है। इस इलाके के बल्लुआना के विधायक गोल्डी मुसाफिर से मांग रखी कि बल्लुआना को सबडिवीजन बना लें लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया। सीएम ने कहा कि राजनेताओं द्वारा बनाए गए बार्डरों को अपना ध्वत कर दिया है। उन्होंने कहा कि अबोहर और बल्लुआना में बड़े घर राजकीय बाड़े द्वारा बनाए गए हैं जो जल्द ही समाप्त कर दिए जाएंगे। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री ब्रह्म शंकर, लंबे समय के विधायक खुदिया, जलालाबाद के विधायक गोल्डी, फाजिल्का के विधायक सवाना, अबोहर अधिकार अधिकार कुलदीप दीप कम्बोज मंच पर मौजूद थे।इस परिदृश्य में आप नेता धर्मवीर गोदारा, किसान नेता मनोज गोदारा और अन्य नेतागण मौजूद थे। अबोहर अभिलेख कुलदीप दीप कम्बोज मंच पर मौजूद थे। इस परिदृश्य में आप नेता धर्मवीर गोदारा, किसान नेता मनोज गोदारा और अन्य नेतागण मौजूद थे। अबोहर अभिलेख कुलदीप दीप कम्बोज मंच पर मौजूद थे। इस परिदृश्य में आप नेता धर्मवीर गोदारा, किसान नेता मनोज गोदारा और अन्य नेतागण मौजूद थे। फोटो, मंच पर मौजूद हैं सीएम मान व अन्य नेतागण व रैली।

  बलुवाना न्यूज पंजाबसीएम मान ने किसानों के चैकअबोहर, 20 जनवरी (बलुवाना न्यूज पंजाब): 2020 में बुरी तरह अस्वस्थ व बरसात के कारण गिरे मकानों ...